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मुसलमानों पर ज़ुल्म करने के मामले में भारत के सभी राजनीतिक दल एक: IAMC - IAMC

मुसलमानों पर ज़ुल्म करने के मामले में भारत के सभी राजनीतिक दल एक: IAMC

हैदराबाद में प्रदर्शनकारियों की पिटाई और गिरफ़्तारी की आईएएमसी ने निंदा की

(प्रकाशनार्थ)

वाशिंगटन डीसी (अगस्त 26, 2022)

पैगंबर मोहम्मद साहब पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह की गिरफ़्तारी की माँग करने वाले प्रदर्शनकारियों की हैदराबाद में पुलिसिया पिटाई और गिरफ़्तारी की इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) ने कड़ी निंदा की है. नागरिक और मानवाधिकारों के लिए अमेरिका के इस सबसे बड़े एडवोकेसी संगठन के अध्यक्ष सैयद अली ने कहा है कि तेलंगाना में बीजेपी की नहीं, टीआरएस की सरकार है फिर भी मुसलमानों पर ज़ुल्म किया गया. यह बताता है कि मुसलमानों को लेकर हिंदुस्तान की सभी पार्टियों की सोच एक है. उन पर ज़ुल्म करने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं है.

श्री अली ने कहा कि हैदराबाद में प्रदर्शन करने वाले मुसलमानों का आक्रोश पैगंबर पर अभद्र टिप्पणी करने वाले टी.राजा सिंह की चंद घंटों में रिहाई को लेकर था जबकि पहले उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा था. वे माँग कर रहे थे कि राजा सिंह को फिर गिरफ़्तार किया जाए. वैसे भी राजा सिंह ने पहली बार ऐसी हरक़त नहीं की है. वे पहले भी मुसलमानों को मारने और मस्जिदों को तोड़ने का आह्वान कर चुके हैं. यही नही, उन्होंने गुजरात दंगों के दौरान हुए मुस्लिम औरतों के सामूहिक बलात्कार को भी जायज़ ठहराया था जिसका वीडियो मौजूद है. ऐसे में राजा सिंह की रिहाई चौंकाने वाली थी और दोबारा गिरफ़्तार करने की माँग कहीं से भी ग़लत नहीं थी. इसके बावजूद पुलिस ने जबरदस्ती उनके घरों में घुसकर सैकड़ों मुसलमानों को गिरफ़्तार किया.

IAMC  अध्यक्ष ने इस मामले में अदालती रवैये पर भी हैरानी जतायी. उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस से जुड़े नेता जानबूझकर बार-बार मोहम्मद साहब का अपमान करते हैं, लेकिन उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होती. राजा सिंह की तुरंत रिहाई इसकी मिसाल है. इसके पहले पैगंबर का अपमान करने वाली बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के केस में भी यही हुआ था. एफआईआर के बावजूद दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया. बाद में देश के तमाम हिस्सों में नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमों को दिल्ली ट्रांस्फर कर दिया गया और गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी गयी. एक तरफ़ तमाम बेकसूर मुसलमानों को बिना सबूत जेल में रखा जाता है, उन्हें ज़मानत नहीं दी जाती, दूसरी तरफ़ नूपुर शर्मा और राजा सिंह जैसे लोगों को अदालती संरक्षण मिलता है. यह बताता है कि अदालतें भी मुसलमानों को लेकर दुराव रखती हैं. उनके साथ भेदभाव करती हैं.

श्री अली ने कहा कि मुस्लिम प्रदर्शनकारियों और अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस और प्रशासन का व्यवहार भी भेदभावपूर्ण है. साल भर तक किसान अपनी माँगों को लेकर देश की राजधानी दिल्ली घेरकर बैठे रहे, पर उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. ‘अग्निवीर योजना’ के ख़िलाफ़ कई राज्यों में तोड़फोड़ हुई पर ऐसा करने वालों को ‘अपना बच्चा’ माना गया पर राजा सिंह जैसे नफ़रत के सौदाग़र की गिरफ़्तारी की जायज़ माँग करने वाले मुसलमानों पर पुलिस ने लाठी चटकाई. ऐसा लगता है कि देश का सारा सिस्टम ही मुसलमानों के ख़िलाफ़ है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जिस तरह इस मामले में तेज़ी दिखाते हुए स्वत: संज्ञान लिया, वह भी यही बताता है. आयोग ने विधायक राजा सिंह के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले बच्चों को ‘उकसाने वालों’ का पता लगाकर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए हैदराबाद पुलिस को निर्देश दिया है. यही आयोग बच्चों पर होने वाले ज़ुल्म, उनके कुपोषण, उनकी शिक्षा आदि मुद्दों पर ऐसी तेज़ी कभी नहीं दिखाता.

आईएएमसी अध्यक्ष सैयद अली ने कहा कि विपक्ष बीजेपी को सांप्रदायिक बताता रहता है, लेकिन सवाल ये है कि वह ख़ुद क्या है? क्या विपक्ष मुसलमानों को उनका जायज़ हक़ और इंसाफ़ दिलाने को फ़िक्रमंद है? अफ़सोस कि इसका जवाब ‘न’ है. वरना तेलंगाना में जिस तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार है, वह मोहम्मद साहब के अपमान से आहत प्रदर्शनकारियों के साथ संवेदनशीलता से पेश आती. उनकी पिटाई और गिरफ़्तारियाँ न करती. उन्होंने कहा कि हक़ीक़त में भारत की सारी पार्टियाँ मुसलमानो के प्रति एक ही रुख रखती है. जो पार्टियाँ मुसलमानों के वोट पर अपना दावा समझती हैं, वे भी उन्हें इंसाफ़ दिलाने के लिए खुलकर नहीं बोलतीं.