हरिद्वार में नरसंहार के लिए उकसाने वालों को अंतरराष्ट्रीय संधि जेनोसाइड कंवेशन के तहत सज़ा मिलनी चाहिए: अमेरिकी विशेषज्ञ - IAMC

हरिद्वार में नरसंहार के लिए उकसाने वालों को अंतरराष्ट्रीय संधि जेनोसाइड कंवेशन के तहत सज़ा मिलनी चाहिए: अमेरिकी विशेषज्ञ

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वाशिंगटन डीसी, मार्च 2, 2022 –

दिसंबर में हरिद्वार शहर में मुस्लिमों के नरसंहार का आह्वान करने वाले अपराधियों को अंतरराष्ट्रीय संधि जेनोसाइड (नरसंहार) कंवेशन के तहत सज़ा मिलनी चाहिए. ये बात दुनिया के जाने-माने जेनोसाइड विशेषज्ञ डॉ. ग्रेगरी स्टैंटन ने कही है.

“नरसंहार के लिए उकसाना जेनोसाइड कंवेशन के अनुच्छेद 3 के तहत अपराध है,” डॉ. स्टैंटन ने एक वैश्विक शिखर सम्मेलन के समापन भाषण में कहा. “हरिद्वार शहर में मुसलमानों की सामूहिक हत्या के लिए दिए भाषण को नरसंहार के लिए उकसाना ही कहते हैं.”

डॉ. स्टैंटन ने ये बात तीन दिवसीय ग्लोबल वर्चुअल समिट “इंडिया ऑन द ब्रिंक: प्रिवेंटिंग जेनोसाइड” के दौरान कही. वह जेनोसाइड वॉच के संस्थापक-अध्यक्ष हैं जो यूएस स्थित एनजीओ है. वह नरसंहार (जेनोसाइड) के ख़िलाफ़ वैश्विक गठबंधन (Global Alliance Against Genocide) के संस्थापक भी हैं. पिछले सालों में डॉ. स्टैंटन कश्मीर और असम में भारतीय मुसलमानों के नरसंहार की भविष्यवाणी कर चुके हैं.

डेढ़ महीने पहले उन्होंने ये कह कर सनसनी मचा दी थी कि अब पूरे भारत में मुसलमानों के नरसंहार का माहौल बन चुका है, ठीक वैसे ही जैसे अफ़्रीकी देश रवांडा में 1994 के नरसंहार का माहौल पहले से ही बना दिया गया था. डॉ. स्टैंटन ने रवांडा के नरसंहार की भविष्यवाणी उसके अंजाम से पाँच साल पहले ही कर दी थी.

इस तीन-दिवसीय ग्लोबल वर्चुअल समिट का आयोजन अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीस से अधिक संगठनों ने 26-28 फ़रवरी को किया. इसमें 17 पैनल डिस्कशन हुए जिसमें दुनिया के 50 से अधिक मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, वकील, बुद्धिजीवी, एक्टिविस्ट, छात्र आदि शामिल हुए.

पिछले दिसंबर हरिद्वार में एक कट्टरपंथी कार्यक्रम में हिंदू महासभा की भगवाधारी नेता पूजा शकुन पांडे ने बीस लाख भारतीय मुस्लिमों के नरसंहार का खुला आह्वान किया था. सार्वजनिक दबाव के चलते कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद को पुलिस ने गिरफ़्तार तो किया लेकिन कुछ ही दिनों में उसे ज़मानत मिल गई. न पांडे को गिरफ़्तार किया गया और न ही उस पर कोई कार्रवाई हुई.

“नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सज़ा पर कन्वेंशन” (The Convention on the Prevention and Punishment of the Crime of Genocide) पिछली शताब्दी में 60 लाख से अधिक यहूदियों के नरसंहार के बाद आयोजित किया गया था. इस संधि को संयुक्त राष्ट्र की मान्यता प्राप्त है. इस पर भारत समेत दुनिया के डेढ़ सौ देशों ने साइन किया है. इसके अनुच्छेद 3 में “नरसंहार करने के लिए भड़काने” को अपराध कहा गया है. हरिद्वार में जनसंहार के आह्वान की भारत के बाहर भी निंदा हुई है. फिर भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर चुप्पी साध रखी है और उनकी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है.

नरसिंहानंद और पांडे दोनों हिंदू चरमपंथ की विचारधारा, हिंदुत्व, से जुड़े हैं. यही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा है जो 96 साल पुरान संगठन है. आरएसएस भारत को सेक्युलर देश से बदलकर हिंदू राष्ट्र बनाना चाहता है, और मुसलमान और ईसाईयों को समान नागरिक अधिकारों से वंचित करना चाहता है. प्रधानमंत्री मोदी आरएसएस के सदस्य हैं. उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आरएसएस का राजनैतिक दल है.

अपने भाषण में डॉ. स्टैंटन ने कहा नस्लवाद नरसंहार का एक बड़ा कारण है. उन्होंने कहा “नस्लवाद का सबसे घातक रूप राष्ट्रवाद है. यह एक तरह से स्टेरॉयड पर तैयार नस्लवाद है.”

स्टैंटन ने कहा, “नरसंहार की तैयारी में पहला कदम ये है कि जिसे मारा जाना है उसे ही हत्यारे के रूप में चित्रित किया जाता है. लोगों के मन में ये बैठाया जाता है कि अगर हमने दूसरी कौम को पहले नहीं मारा तो वो हमें मार डालेगी. इस प्रक्रिया को mirroring (दर्पण) कहते हैं. यानी नरसंहार की सोच रखने वाली कौम जो दूसरे के बारे में सोच रही है दरअसल वो ख़ुद उसी काम को अंजाम देने जा रही है. Mirroring उन इरादों की भविष्यवाणी है.”

स्टैंटन कहते हैं “नरसंहार की तैयारी में जिस कौम का सफ़ाया करना है सबसे पहले उसे dehumanize किया जाता है. यानी ये कहा जाता है कि वो कौम इंसान ही नहीं है. जैसे भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने मुसलमानों को दीमक कहा है. लोगों के मन में बैठाया जाता है कि जो इंसान ही नहीं है उसकी हत्या करना भी अपराध नहीं है.”

डॉ. स्टैंटन ने सोशल मीडिया को भी “घातक प्रचार” के लिए दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, “फ़ेसबुक और व्हाट्सएप भारत में नरसंहार भड़काने के मुख्य प्लेटफ़ॉर्म बन चुके हैं.”

हिंदू राष्ट्रवाद का मुकाबला कैसे करें? डॉ. स्टैंटन ने कहा, “भारत में असली राष्ट्रवाद दोबारा लाना होगा और राष्ट्रवाद से धर्म हटाना होगा. राष्ट्रवाद को भारत के संविधान निर्माताओं की धर्मनिरपेक्ष दृष्टि पर फिर से केंद्रित करना होगा. ये काम उन भारतीयों को करना होगा जो मानते हैं भारत को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र रहना चाहिए.”

डॉ. स्टैंटन ने कहा धर्मनिरपेक्ष भारतीय राष्ट्रवाद को दोबारा खड़ा करने में प्रवासी भारतीय मदद कर सकते हैं. “मोदी के धर्मकेंद्रित राष्ट्रवाद की हार के लिए हमें सतत आंदोलनो आयोजित करना चाहिए. इस बाबत हमने एक अभियान शुरू करने की घोषणा की है.”

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